परिचय
हाल ही में, अमेरिका की एक अपील कोर्ट ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए अधिकांश वैश्विक टैरिफ्स को अवैध घोषित किया है। यह निर्णय ट्रंप की ट्रेड पॉलिसी के लिए एक बड़ा झटका है, जिसका लक्ष्य अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मजबूत करना और व्यापार घाटे को कम करना था। इस लेख में हम इस फैसले के प्रभाव, खासकर छोटे व्यवसायों और भारतीय निर्यातकों पर पड़ने वाले असर, और इसके भविष्य के निहितार्थों पर चर्चा करेंगे।
ट्रंप के टैरिफ्स और विरोध
डोनाल्ड ट्रंप ने अप्रैल 2025 में “लिबरेशन डे” टैरिफ्स की घोषणा की, जिसमें वैश्विक स्तर पर 10% टैरिफ और कुछ देशों, जैसे चीन (30%), कनाडा और मैक्सिको (25%) पर उच्च टैरिफ शामिल थे। ट्रंप ने इन टैरिफ्स को International Emergency Economic Powers Act (IEEPA) के तहत लागू किया, यह दावा करते हुए कि व्यापार घाटा और फेंटेनाइल तस्करी जैसे मुद्दे राष्ट्रीय आपातकाल हैं।
हालांकि, इन टैरिफ्स का अमेरिका में ही भारी विरोध हुआ। विशेष रूप से छोटे व्यवसायों ने इसे अपने लिए नुकसानदायक बताया, क्योंकि बड़े कॉरपोरेट्स के पास ट्रंप प्रशासन के साथ डील करने की क्षमता थी, लेकिन छोटे व्यवसायों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा था।
छोटे व्यवसायों का कोर्ट में जाना
28 मई 2025 को, पांच छोटे व्यवसायों—जिनमें न्यूयॉर्क की वाइन इम्पोर्टर कंपनी V.O.S. Selections शामिल थी—ने US Court of International Trade (USCIT) में मुकदमा दायर किया। इन व्यवसायों ने तर्क दिया कि:
- ट्रंप ने IEEPA का दुरुपयोग करके टैरिफ्स लगाए, जो कि गैर-कानूनी है।
- टैरिफ्स लगाने का अधिकार केवल कांग्रेस के पास है, और राष्ट्रपति को इतने व्यापक टैरिफ्स लगाने की अनुमति नहीं होनी चाहिए।
- व्यापार घाटे को “राष्ट्रीय आपातकाल” बताकर टैरिफ्स लागू करना अनुचित है।
USCIT ने इन व्यवसायों के पक्ष में फैसला सुनाया और ट्रंप के टैरिफ्स को अवैध घोषित करते हुए उनकी तत्काल रोकथाम का आदेश दिया।
अपील और Federal Circuit Court का फैसला
ट्रंप प्रशासन ने USCIT के फैसले के खिलाफ US Court of Appeals for the Federal Circuit, वाशिंगटन डीसी में अपील की। इस मामले में पांच व्यवसायों के साथ 12 डेमोक्रेटिक राज्यों की सरकारें भी शामिल हुईं। अपील कोर्ट ने 7-4 के बहुमत से फैसला सुनाया कि:
- IEEPA में “टैरिफ” या “ड्यूटी” शब्द का उल्लेख नहीं है, और यह राष्ट्रपति को इतने व्यापक टैरिफ्स लगाने की शक्ति नहीं देता।
- टैरिफ्स लगाना कांग्रेस का विशेषाधिकार है, और ट्रंप ने अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया।
कोर्ट ने यह भी कहा कि ट्रंप के “राष्ट्रीय आपातकाल” के दावे, जैसे व्यापार घाटा या फेंटेनाइल तस्करी, टैरिफ्स को उचित ठहराने के लिए पर्याप्त नहीं हैं।
अगले कदम
- 14 अक्टूबर तक टैरिफ्स प्रभावी: अपील कोर्ट ने अपने फैसले को 14 अक्टूबर 2025 तक स्थगित कर दिया है, ताकि ट्रंप प्रशासन US Supreme Court में अपील कर सके।
- Supreme Court की भूमिका: ट्रंप प्रशासन को उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट, जिसमें 6-3 का रूढ़िवादी बहुमत है, उनके पक्ष में फैसला देगा। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने हाल के वर्षों में राष्ट्रपति की शक्तियों के व्यापक उपयोग को सीमित करने की प्रवृत्ति दिखाई है, जिससे इस मामले का परिणाम अनिश्चित है।
- वित्तीय जोखिम: अगर टैरिफ्स रद्द होते हैं, तो अमेरिकी ट्रेजरी को अरबों डॉलर के आयात कर वापस करने पड़ सकते हैं, जिससे अर्थव्यवस्था पर असर पड़ेगा।
छोटे व्यवसायों पर प्रभाव
छोटे व्यवसाय, जैसे V.O.S. Selections, जो आयात-निर्यात पर निर्भर हैं, इन टैरिफ्स से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए। टैरिफ्स ने उनकी लागत बढ़ा दी, जिससे उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता कम हुई। कोर्ट के फैसले से इन व्यवसायों को राहत मिल सकती है, क्योंकि:
- टैरिफ्स हटने से आयात लागत कम होगी।
- छोटे व्यवसायों को बड़े कॉरपोरेट्स के साथ प्रतिस्पर्धा करने का बेहतर मौका मिलेगा।
- हालांकि, अगर सुप्रीम कोर्ट टैरिफ्स को बहाल करता है, तो इन व्यवसायों को फिर से नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।
भारतीय निर्यातकों पर प्रभाव
ट्रंप के टैरिफ्स ने भारत जैसे देशों को भी प्रभावित किया, जहां निर्यातकों को अमेरिकी बाजार में 50% तक के टैरिफ्स का सामना करना पड़ा। अगर कोर्ट का फैसला बरकरार रहता है, तो भारतीय निर्यातकों के लिए कई फायदे हो सकते हैं:
- कम आयात शुल्क: टैरिफ्स हटने से अमेरिकी बाजार में भारतीय उत्पादों की कीमतें कम होंगी, जिससे उनकी मांग बढ़ेगी।
- बढ़ी हुई प्रतिस्पर्धात्मकता: भारतीय निर्यातक, विशेष रूप से कपड़ा, फार्मास्यूटिकल्स और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्रों में, अमेरिकी बाजार में अधिक प्रतिस्पर्धी बन सकेंगे।
- वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला: टैरिफ्स हटने से वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में सुधार होगा, जिससे भारतीय बाजार का सेंटिमेंट बेहतर होगा।
आर्थिक और राजनीतिक निहितार्थ
- अमेरिकी अर्थव्यवस्था: टैरिफ्स ने अमेरिकी उपभोक्ताओं और व्यवसायों पर अतिरिक्त लागत डाली, जिससे मुद्रास्फीति बढ़ी। अगर टैरिफ्स हटते हैं, तो यह उपभोक्ताओं के लिए राहत की बात होगी, लेकिन ट्रेजरी को राजस्व का नुकसान होगा।
- वैश्विक व्यापार: ट्रंप के टैरिफ्स ने वैश्विक व्यापार में व्यवधान पैदा किया। इनके हटने से जापान, यूरोपीय संघ और अन्य व्यापारिक साझेदारों के साथ संबंध सुधर सकते हैं।
- राजनीतिक प्रभाव: यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचने पर राष्ट्रपति की शक्तियों और कांग्रेस के अधिकारों के बीच संतुलन पर एक बड़ा सवाल उठाएगा।
FAQ:-
ट्रंप के टैरिफ्स को US कोर्ट ने अवैध क्यों घोषित किया?
US Court of Appeals for the Federal Circuit ने 29 अगस्त 2025 को 7-4 के बहुमत से फैसला दिया कि डोनाल्ड ट्रंप ने International Emergency Economic Powers Act (IEEPA) का दुरुपयोग करके टैरिफ्स लगाए। कोर्ट ने कहा कि IEEPA में “टैरिफ्स” का कोई उल्लेख नहीं है, और यह राष्ट्रपति को इतने व्यापक टैरिफ्स लगाने की अनुमति नहीं देता। टैरिफ्स लगाना संविधान के अनुसार कांग्रेस का विशेषाधिकार है, न कि राष्ट्रपति का। ट्रंप ने व्यापार घाटे और फेंटेनाइल तस्करी को “राष्ट्रीय आपातकाल” बताकर टैरिफ्स लगाए, लेकिन कोर्ट ने इसे अपर्याप्त माना।
ट्रंप टैरिफ्स से छोटे व्यवसायों को क्या नुकसान हुआ?
ट्रंप के टैरिफ्स ने आयात लागत को 10-50% तक बढ़ा दिया, जिससे छोटे अमेरिकी व्यवसायों, जैसे वाइन इम्पोर्टर V.O.S. Selections और पाइप फिटिंग्स कंपनी Plastic Services and Products, की प्रतिस्पर्धात्मकता कम हो गई। बड़े कॉरपोरेट्स लॉबिंग से डील करवा लेते हैं, लेकिन छोटे व्यवसायों को $34 बिलियन से अधिक का नुकसान हुआ, जिसमें इन्वेंटरी प्लानिंग बाधित हुई और कई बर्बादी के कगार पर पहुंच गए। कोर्ट के फैसले से इन व्यवसायों को राहत मिल सकती है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट अपील से अनिश्चितता बनी हुई है।
भारतीय निर्यातकों को ट्रंप टैरिफ्स के हटने से क्या फायदा होगा?
अगर टैरिफ्स हटते हैं, तो अमेरिकी बाजार में भारतीय उत्पादों (जैसे कपड़ा, फार्मास्यूटिकल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स) पर 50% तक के आयात शुल्क कम होंगे, जिससे भारतीय निर्यातकों को सस्ते दामों पर बिक्री का मौका मिलेगा। इससे निर्यात में वृद्धि होगी, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला सुधरेगी, और भारतीय बाजार का सेंटिमेंट बेहतर होगा। जुलाई 2025 तक टैरिफ्स से $159 बिलियन राजस्व हुआ, लेकिन हटने पर US को रिफंड देना पड़ सकता है, जो भारतीय कंपनियों के लिए अवसर बढ़ाएगा।
क्या ट्रंप प्रशासन सुप्रीम कोर्ट में अपील जीत सकता है?
ट्रंप प्रशासन ने 2 सितंबर 2025 को सुप्रीम कोर्ट में त्वरित अपील की घोषणा की है। टैरिफ्स 14 अक्टूबर 2025 तक प्रभावी रहेंगे। सुप्रीम कोर्ट में 6-3 का रूढ़िवादी बहुमत है (ट्रंप द्वारा नियुक्त 3 जज), लेकिन हाल के फैसलों (जैसे “मेजर क्वेश्चन डॉक्ट्रिन”) में राष्ट्रपति की व्यापक शक्तियों को सीमित किया गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि परिणाम अनिश्चित है, लेकिन हारने पर ट्रंप अन्य कानूनों (जैसे Trade Act of 1974) का उपयोग कर सकते हैं, जो टैरिफ्स को 15% और 150 दिनों तक सीमित करता है।
ट्रंप टैरिफ्स के हटने से अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ेगा?
टैरिफ्स हटने से अमेरिकी उपभोक्ताओं और व्यवसायों को राहत मिलेगी, क्योंकि आयात लागत कम होगी और मुद्रास्फीति घटेगी। हालांकि, US ट्रेजरी को $107-159 बिलियन के टैरिफ राजस्व का रिफंड देना पड़ सकता है, जो वित्तीय जोखिम पैदा करेगा। जस्टिस डिपार्टमेंट ने चेतावनी दी है कि इससे “फाइनेंशियल रुइन” हो सकता है, लेकिन अर्थशास्त्री कहते हैं कि यह बाजारों में अस्थिरता बढ़ाएगा। स्टील और एल्युमिनियम जैसे सेक्टर-स्पेसिफिक टैरिफ्स प्रभावित नहीं होंगे।
निष्कर्ष
अमेरिकी अपील कोर्ट का ट्रंप के टैरिफ्स को अवैध घोषित करने का फैसला छोटे व्यवसायों और भारतीय निर्यातकों के लिए एक सकारात्मक कदम है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट का अंतिम फैसला इस मामले की दिशा तय करेगा। अगर टैरिफ्स रद्द होते हैं, तो भारतीय निर्यातकों को अमेरिकी बाजार में बेहतर अवसर मिलेंगे, और वैश्विक व्यापार में स्थिरता आएगी। दूसरी ओर, ट्रंप प्रशासन के पास अन्य कानूनी रास्ते, जैसे Section 301 या Section 232, हैं, जिनका उपयोग वे टैरिफ्स को फिर से लागू करने के लिए कर सकते हैं।
इस मामले पर नजर रखना महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि इसका असर न केवल अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर, बल्कि वैश्विक व्यापार और भारतीय निर्यातकों पर भी पड़ेगा।