नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 31 अगस्त से 1 सितंबर तक चीन के शहर टियांजिन में होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के शिखर सम्मेलन में भाग लेने जा रहे हैं। यह उनकी पिछले सात वर्षों में चीन की पहली यात्रा है और इसे वैश्विक राजनीति में भारत की बहुध्रुवीय (multipolar) रणनीति की एक बड़ी कड़ी के तौर पर देखा जा रहा है।
क्या है SCO और क्यों है यह महत्वपूर्ण?
SCO एक क्षेत्रीय अंतर-सरकारी संगठन है जिसक स्थापना 2001 में हुई थी। इसका मुख्य फोकस क्षेत्रीय सुरक्षा, आतंकवाद से लड़ना और आर्थिक एवं सांस्कृतिक सहयोग बढ़ाना है। 2024 तक इसके 9 सदस्य हैं: चीन, रूस, भारत, पाकिस्तान, ईरान, कजाखस्तान, किर्गिजस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान। इस बार 20 से अधिक देशों के नेता इस सम्मेलन में शामिल होंगे, जो इसे अब तक का सबसे बड़ा SCO आयोजन बना रहा है।
मोदी-शी और मोदी-पुतिन मुलाकात: सबकी नजरें
इस सम्मेलन की सबसे बड़ी खासियत प्रधानमंत्री मोदी की चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ होने वाली संभावित बैठकें हैं।
- चीन के साथ तनावपूर्ण रिश्ते: 2020 में गालवान घड़ी की घटना के बाद से भारत-चीन संबंध तनावपूर्ण रहे हैं। ऐसे में PM मोदी का चीन जाना एक सकारात्मक संकेत है कि भारत बातचीत के रास्ते खुले रखना चाहता है। इस मुलाकात में सीमा विवाद पर चर्चा के साथ-साथ व्यापार के मुद्दे भी शामिल होंगे।
- पुतिन के साथ मजबूत रिश्ते: रूस के साथ भारत के रक्षा और ऊर्जा संबंध बेहद मजबूत हैं। पश्चिमी प्रतिबंधों के कारण अलग-थलग पड़े रूस के लिए भारत एक अहम साझेदार बना हुआ है। यह मुलाकात द्विपक्षीय व्यापार बढ़ाने और रणनीतिक सहयोग को मजबूत करने पर केंद्रित होगी।
US टैरिफ का असर और भारत की जरूरत
अमेरिका द्वारा हाल ही में चीन और अन्य एशियाई देशों पर लगाए गए high tariffs (इलेक्ट्रॉनिक्स, EVs, स्टील आदि पर) का सीधा असर वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं (supply chains) पर पड़ा है, जिससे भारत के निर्यात पर भी दबाव बना है। इसने अमेरिका पर निर्भरता कम करने और अपने व्यापार व निर्यात को विविधतापूर्ण (diversify) बनाने की भारत की जरूरत को और बढ़ा दिया है।
SCO: अमेरिका को भेजा गया एक रणनीतिक संदेश
प्रधानमंत्री मोदी का SCO शिखर सम्मेलन में शामिल होना केवल एक कूटनीतिक यात्रा नहीं, बल्कि अमेरिका को दिया गया एक स्पष्ट संदेश है। यह दर्शाता है कि भारत अमेरिका का एक विश्वसनीय साझेदार तो है, लेकिन उसके पास अन्य विकल्प भी मौजूद हैं। यदि अमेरिका अत्यधिक प्रतिबंध लगाता है, तो भारत SCO और BRICS जैसे फोरम के जरिए अपने आर्थिक और भू-राजनीतिक दायरे को बढ़ाएगा। SCO देशों के साथ सहयोग भारत को एक वैकल्पिक आर्थिक सहारा (cushion) प्रदान करेगा।
चीन के साथ बढ़ता व्यापार घाटा: एक बड़ी चिंता
भारत-चीन व्यापार संबंधों में सबसे बड़ी चिंता का विषय है बढ़ता व्यापार घाटा।
- 2024-25 में भारत का चीन के साथ व्यापार घाटा $99.2 बिलियन (लगभग ₹8.2 लाख करोड़) के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है।
- कारण: इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिक बैटरी और सोलर सेल जैसे उत्पादों का आयात तेजी से बढ़ा है। मार्च 2025 में आयात में 25% की वृद्धि हुई।
- निर्यात स्थिर: पिछले 10 वर्षों में चीन को भारत का निर्यात केवल 19.2% बढ़ा है, जो FY15 में $12 बिलियन से बढ़कर FY25 में सिर्फ $14.3 बिलियन हुआ है।
- एक अध्ययन के मुताबिक, भारत के पास चीन को $161 बिलियन का अप्रयुक्त निर्यात क्षमता (untapped export potential) है।
रूस: भारत का विश्वसनीय रणनीतिक साझेदार
पश्चिमी प्रतिबंधों के बावजूद, भारत-रूस संबंध मजबूत बने हुए हैं।
- व्यापार: FY 2024-25 में भारत-रूस का द्विपक्षीय व्यापार US$ 68.7 बिलियन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा। हालांकि, यह संतुलन रूस के पक्ष में है, क्योंकि भारत का मुख्य आयात तेल है।
- तेल आयात: रूसी कच्चे तेल से भारत को लगभग US$ 2.5 बिलियन की वार्षिक बचत हो रही है। रूस अब भारत के तेल आयात का लगभग 40% हिस्सेदार है।
- रक्षा सहयोग: रूस भारत का सबसे बड़ा रक्षा साझेदार बना हुआ है। S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम, Su-30MKI, BrahMos मिसाइल, T-90 टैंक जैसे महत्वपूर्ण समझौते दोनों देशों के रिश्तों की मजबूती को दर्शाते हैं।
निष्कर्ष: बहुध्रुवीय दुनिया में भारत की मजबूत उपस्थिति
प्रधानमंत्री मोदी की SCO यात्रा भारत की ‘रणनीतिक स्वायत्तता’ (Strategic Autonomy) की नीति का एक जीवंत उदाहरण है। यह स्पष्ट करती है कि भारत किसी एक गुट में बंधकर नहीं, बल्कि अपने राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए दुनिया के सभी देशों के साथ संबंध विकसित करेगा। अमेरिका के टैरिफ और चीन के साथ बढ़ते व्यापार घाटे के मद्देनजर, SCO जैसे मंच भारत के लिए नए अवसरों के द्वार खोलते हैं और वैश्विक मंच पर उसकी भूमिका को और मजबूत करते हैं।
SCO शिखर सम्मेलन 2025: 10 सबसे महत्वपूर्ण सवाल और उनके जवाब (FAQ in Hindi)
SCO क्या है और इसका मुख्य उद्देश्य क्या है?
जवाब: SCO (Shanghai Cooperation Organisation) यानी शंघाई सहयोग संगठन एक क्षेत्रीय अंतर-सरकारी संगठन है। इसकी स्थापना 2001 में हुई थी। इसका मुख्य उद्देश्य सदस्य देशों के बीच क्षेत्रीय सुरक्षा सहयोग को बढ़ावा देना, आतंकवाद से संयुक्त रूप से लड़ना, तथा आर्थिक, सांस्कृतिक और connectivity (कनेक्टिविटी) सहयोग को मजबूत करना है।
SCO के सदस्य देश कौन-कौन हैं (2025 तक)?
कजाखस्तान, किर्गिजस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान
बाद में जुड़े: भारत और पाकिस्तान (2017), ईरान (2023)
यह SCO शिखर सम्मेलन कहाँ और कब हो रहा है?
जवाब: SCO का 25वां शिखर सम्मेलन (Heads of State Council Meeting) 31 अगस्त से 1 सितंबर, 2025 तक चीन के शहर टियांजिन (Tianjin) में आयोजित किया जा रहा है। इसकी अध्यक्षता चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी की चीन यात्रा का क्या महत्व है?
जवाब: यह पीएम मोदी की पिछले सात वर्षों (2018 के बाद से) में चीन की पहली यात्रा है। 2020 में हुए सीमा तनाव के बाद यह यात्रा द्विपक्षीय संबंधों में सुधार की दिशा में एक प्रतीकात्मक और महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है। यह भारत की बहुध्रुवीय विदेश नीति को भी दर्शाता है।
इस सम्मेलन में मोदी की किन नेताओं से मुलाकात होगी?
जवाब: माना जा रहा है कि पीएम मोदी की चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ महत्वपूर्ण द्विपक्षीय बैठकें होंगी। इन मुलाकातों पर पूरी दुनिया की नजर होगी